फूलों के आशियाने पर...
पीले पंजे का कहर...
कार्यवाही की आड़ में उजाड़ा
गरीबों का रोजगार
क्या गरीब होना पाप है....????
आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा सवाल हुआ। लेकिन आज जो कहानी हम आपको बताने वाले हैं उसे सुनकर आपको भी लगेगा की इस देश में गरीब होना सबसे बड़ा पाप है और उससे भी बड़ा पाप यह है कि आप पूरी ईमानदारी के साथ अपने परिवार का पेट पालने के लिए सड़कों पर व्यापार करते हैं। क्योंकि आप संपन्न लोगों की नजर में मात्र एक अतिक्रमण है और प्रशासन जब चाहे तब आप को उखाड़ कर फेंक देगा फिर चाहे आपका परिवार भूखे मरे इस बात को लेकर किसी भी जिम्मेदार की आपके प्रति कोई सहानुभूति भी नहीं होगी
क्या है कहानी..?? कहाँ का है मांजरा..
इस कहानी का केंद्र बिंदु मध्य प्रदेश के गुना शहर का हनुमान चौराहा है जहां लंबे समय से दर्जनभर से अधिक परिवार सड़क किनारे फूलों का धंधा करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे लेकिन इस शहर में गरीबों पर एक बार फिर जिम्मेदारों की दबंगई देखने को मिली। यह दबंगई अतिक्रमण हटाने के नाम पर की गई, जिसमें शनिवार को शहर के हनुमान चौराहा मंदिर स्थित फूल वालों को खदेड़ दिया गया, साथ ही जेसीबी से उनके बैठने के स्थल को भी तोड़ दिया गया। यह कार्रवाई यातायात पुलिस द्वारा की गई और इसके लिए हनुमान चौराहे पर दाए हाथ के लिए मुडऩे में समस्या आने की बात कही गई। यातायात पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर उसे काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। लोगों में इसको लेकर खासा आक्रोष देखने को मिला।
अब कौन पालेगा..?? इन गरीबों का परिवार..
गौरतलब है कि शहर के हनुमान चौराहा मंदिर के बाहर कुछ फूल विक्रेताओं ने अस्थाई रुप से अपनी दुकानें लंबे समय से सजा रखीं थीं। इन दुकानों के माध्यम से वह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। श्रद्धालुओं को भी इन दुकानों से यह सुविधा मिलती थी कि उन्हे भगवान को अर्पित करने के लिए फूल, माला लेने दूर नहीं जाना पड़ता था और यह उन्हे मंदिर के बाहर ही मिल जाती थी।
आनन-फानन में चलवाई जेसीबी..
इन फूल विक्रेता के पास यातायात पुलिस जेसीबी लेकर शनिवार को अचानक आई और उन्हें हटाकर उनके बैठने के स्थलों को जेसीबी से तोडऩे लग गई। इस दौरान मामूली विरोध भी सामने आया। फूल विक्रेताओं का कहना रहा कि इन दुकानों से जैसे-तैसे पाई-पाई एकत्रित कर वह अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। अब दुकान उजडऩे के बाद उनके भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। दुकानदारों का कहना है कि वैसे ही कोरोना संक्रमण काल में उन्हें तमाम तरह की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, अब उनकी जीविका का साधन भी छीन लिया गया है।
नोट-विकास की कलम अपने पाठकों से अनुरोध करती है कि आप अपने सुझाव हम तक जरूर भेजें..
ताकि आने वाले समय मे हम आपकी मदद से और भी बेहतर कार्य कर सकें। साथ ही यदि आपको लेख अच्छा लगे तो इसे ओरों तक भी पहुंचाए।
विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
पीले पंजे का कहर...
कार्यवाही की आड़ में उजाड़ा
गरीबों का रोजगार
क्या गरीब होना पाप है....????
आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा सवाल हुआ। लेकिन आज जो कहानी हम आपको बताने वाले हैं उसे सुनकर आपको भी लगेगा की इस देश में गरीब होना सबसे बड़ा पाप है और उससे भी बड़ा पाप यह है कि आप पूरी ईमानदारी के साथ अपने परिवार का पेट पालने के लिए सड़कों पर व्यापार करते हैं। क्योंकि आप संपन्न लोगों की नजर में मात्र एक अतिक्रमण है और प्रशासन जब चाहे तब आप को उखाड़ कर फेंक देगा फिर चाहे आपका परिवार भूखे मरे इस बात को लेकर किसी भी जिम्मेदार की आपके प्रति कोई सहानुभूति भी नहीं होगी
क्या है कहानी..?? कहाँ का है मांजरा..
इस कहानी का केंद्र बिंदु मध्य प्रदेश के गुना शहर का हनुमान चौराहा है जहां लंबे समय से दर्जनभर से अधिक परिवार सड़क किनारे फूलों का धंधा करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे लेकिन इस शहर में गरीबों पर एक बार फिर जिम्मेदारों की दबंगई देखने को मिली। यह दबंगई अतिक्रमण हटाने के नाम पर की गई, जिसमें शनिवार को शहर के हनुमान चौराहा मंदिर स्थित फूल वालों को खदेड़ दिया गया, साथ ही जेसीबी से उनके बैठने के स्थल को भी तोड़ दिया गया। यह कार्रवाई यातायात पुलिस द्वारा की गई और इसके लिए हनुमान चौराहे पर दाए हाथ के लिए मुडऩे में समस्या आने की बात कही गई। यातायात पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर उसे काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। लोगों में इसको लेकर खासा आक्रोष देखने को मिला।
अब कौन पालेगा..?? इन गरीबों का परिवार..
गौरतलब है कि शहर के हनुमान चौराहा मंदिर के बाहर कुछ फूल विक्रेताओं ने अस्थाई रुप से अपनी दुकानें लंबे समय से सजा रखीं थीं। इन दुकानों के माध्यम से वह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। श्रद्धालुओं को भी इन दुकानों से यह सुविधा मिलती थी कि उन्हे भगवान को अर्पित करने के लिए फूल, माला लेने दूर नहीं जाना पड़ता था और यह उन्हे मंदिर के बाहर ही मिल जाती थी।
आनन-फानन में चलवाई जेसीबी..
इन फूल विक्रेता के पास यातायात पुलिस जेसीबी लेकर शनिवार को अचानक आई और उन्हें हटाकर उनके बैठने के स्थलों को जेसीबी से तोडऩे लग गई। इस दौरान मामूली विरोध भी सामने आया। फूल विक्रेताओं का कहना रहा कि इन दुकानों से जैसे-तैसे पाई-पाई एकत्रित कर वह अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। अब दुकान उजडऩे के बाद उनके भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। दुकानदारों का कहना है कि वैसे ही कोरोना संक्रमण काल में उन्हें तमाम तरह की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, अब उनकी जीविका का साधन भी छीन लिया गया है।
नोट-विकास की कलम अपने पाठकों से अनुरोध करती है कि आप अपने सुझाव हम तक जरूर भेजें..
ताकि आने वाले समय मे हम आपकी मदद से और भी बेहतर कार्य कर सकें। साथ ही यदि आपको लेख अच्छा लगे तो इसे ओरों तक भी पहुंचाए।
विकास की कलम
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विकास सोनी
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