राम-काज में आगे आये..
मोहम्मद फ़ैज खान..
796 Km.. पैदल चलकर..
पहुचायेंगे ननिहाल की मिट्टी..
अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का आयोजन किया जाना है। इस धार्मिक अनुष्ठान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। उधर भगवान राम के ननिहाल यानि उनकी माता कौशल्या की जन्मस्थली से भी मिट्टी आयोध्या के लिए निकल चुकी है। दक्षिण कौशल जो इस वक्त छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है। वहां स्थित चंद्रखुरी गांव की प्रसिद्ध कौशल्या माता मंदिर की मिट्टी लेकर रायपुर निवासी मोहम्मद फैज खान पैदल निकल चुके हैं।
राम के काम मे आगे आये.. फ़ैज खान...
गौभक्त और रामकथा वाचक के रूप में पहजाने जाने वाले फैज खान ने बृहस्पतिवार को रायपुर के जयस्तंभ चौक से पदयात्रा शुरू की। वे बिलासपुर, अमरकंटक, शहडोल, प्रयागराज होते हुए 796 किलोमीटर दूर अयोध्या पहुंचेंगे। फैज खान अयोध्या पहुंचने के लिए रोजाना लगभग 60 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। वह पांच अगस्त को अयोध्या पहुंचेंगे और मंदिर के नींव में नानी के गांव की मिट्टी भेंट करेंगे।
सनातन परंपरा में ननिहाल का विशेष महत्व
रायपुर के रहने वाले फैज खान की पहचान गौ भक्त के रूप में होती है। फैज ने कहा- भगवान राम का ननिहाल दक्षिण कौशल, जो मौजूदा वक्त में छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है। भगवान राम ने 14 साल के वनवास के दौरान यहां भी अपना वक्त गुजारा था। फैज कहते हैं कि सनातन परंपरा के मुताबिक, हर शुभ काम में ननिहाल का योगदान होता है। यहां के लोगों की इच्छा और भावना है कि भगवान राम के भव्य मंदिर के लिए भगवान राम के ननिहाल से भी भेंट दी जाए।
चांदी की डिब्बी में रखी ननिहाल की मिट्टी
पदयात्रा शुरू करने से पहले फैज ने चंद्रपुरी गांव के कौशल्या मंदिर से मंत्रोचार के साथ मिट्टी ली और उसे चांदी की डिब्बी में रखा। डिब्बी को उन्होंने जय श्रीराम लिखा हुआ एक लाल कपड़े में बांधा। मंत्रोचार के बीच मंदिर से मिट्टी को एकत्र किया गया। पंडित के निर्देशन में फैज ने माता के मंदिर की परिक्रमा भी की।
वनवास के समय यहीं से गुजरे थे राम..
गौरतलब है कि इसी क्षेत्र से भगवान राम 14 वर्षों की अपनी वनवास यात्रा के दौरान भी गुजरे थे। आज यहां के कौशल्या माता मंदिर में माता कौशल्या की गोद में भगवान की प्रतिमा का पूजन होता है।यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। वहीं भगवान राम की माँ कौशल्या को समर्पित यह एकमात्र मंदिर है।
नोट-विकास की कलम अपने पाठकों से अनुरोध करती है कि आप अपने सुझाव हम तक जरूर भेजें..
ताकि आने वाले समय मे हम आपकी मदद से और भी बेहतर कार्य कर सकें। साथ ही यदि आपको लेख अच्छा लगे तो इसे ओरों तक भी पहुंचाए।
विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
मोहम्मद फ़ैज खान..
796 Km.. पैदल चलकर..
पहुचायेंगे ननिहाल की मिट्टी..
अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का आयोजन किया जाना है। इस धार्मिक अनुष्ठान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। उधर भगवान राम के ननिहाल यानि उनकी माता कौशल्या की जन्मस्थली से भी मिट्टी आयोध्या के लिए निकल चुकी है। दक्षिण कौशल जो इस वक्त छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है। वहां स्थित चंद्रखुरी गांव की प्रसिद्ध कौशल्या माता मंदिर की मिट्टी लेकर रायपुर निवासी मोहम्मद फैज खान पैदल निकल चुके हैं।
राम के काम मे आगे आये.. फ़ैज खान...
गौभक्त और रामकथा वाचक के रूप में पहजाने जाने वाले फैज खान ने बृहस्पतिवार को रायपुर के जयस्तंभ चौक से पदयात्रा शुरू की। वे बिलासपुर, अमरकंटक, शहडोल, प्रयागराज होते हुए 796 किलोमीटर दूर अयोध्या पहुंचेंगे। फैज खान अयोध्या पहुंचने के लिए रोजाना लगभग 60 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। वह पांच अगस्त को अयोध्या पहुंचेंगे और मंदिर के नींव में नानी के गांव की मिट्टी भेंट करेंगे।
सनातन परंपरा में ननिहाल का विशेष महत्व
रायपुर के रहने वाले फैज खान की पहचान गौ भक्त के रूप में होती है। फैज ने कहा- भगवान राम का ननिहाल दक्षिण कौशल, जो मौजूदा वक्त में छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है। भगवान राम ने 14 साल के वनवास के दौरान यहां भी अपना वक्त गुजारा था। फैज कहते हैं कि सनातन परंपरा के मुताबिक, हर शुभ काम में ननिहाल का योगदान होता है। यहां के लोगों की इच्छा और भावना है कि भगवान राम के भव्य मंदिर के लिए भगवान राम के ननिहाल से भी भेंट दी जाए।
चांदी की डिब्बी में रखी ननिहाल की मिट्टी
पदयात्रा शुरू करने से पहले फैज ने चंद्रपुरी गांव के कौशल्या मंदिर से मंत्रोचार के साथ मिट्टी ली और उसे चांदी की डिब्बी में रखा। डिब्बी को उन्होंने जय श्रीराम लिखा हुआ एक लाल कपड़े में बांधा। मंत्रोचार के बीच मंदिर से मिट्टी को एकत्र किया गया। पंडित के निर्देशन में फैज ने माता के मंदिर की परिक्रमा भी की।
वनवास के समय यहीं से गुजरे थे राम..
गौरतलब है कि इसी क्षेत्र से भगवान राम 14 वर्षों की अपनी वनवास यात्रा के दौरान भी गुजरे थे। आज यहां के कौशल्या माता मंदिर में माता कौशल्या की गोद में भगवान की प्रतिमा का पूजन होता है।यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। वहीं भगवान राम की माँ कौशल्या को समर्पित यह एकमात्र मंदिर है।
नोट-विकास की कलम अपने पाठकों से अनुरोध करती है कि आप अपने सुझाव हम तक जरूर भेजें..
ताकि आने वाले समय मे हम आपकी मदद से और भी बेहतर कार्य कर सकें। साथ ही यदि आपको लेख अच्छा लगे तो इसे ओरों तक भी पहुंचाए।
विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार