अब ट्रबल में आएगा ट्राईबल डिपार्टमेंट
मलाई चाट रहे साहबों को बेपर्दा करेगी विकास की कलम
सरकार आदिवासी और अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए करोड़ों लुटा रही है। लेकिन जिनकी सुविधाओं के लिए यह पैसा आवंटन हो रहा है।
उन्हें ना तो इसकी जानकारी होती है और ना ही अपने अधिकारों का ज्ञान...
बस यही बात विभाग में बैठे लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। आवंटन का पैसा इतना की खत्म नहीं हो पा रहा।और सुविधाएं ऐसी की कागजों से नीचे उतर ही नही पा रही।
इस विभाग में नौकरी पाने कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं लोग
इस विषय में तो सभी जानते हैं कि आदिवासी विभाग में एक बार घुस गए तो मानो जिंदगी सँवर गई ।
चाहे उच्चाधिकारी हो क्या फिर निचले स्तर का.....
मलाई ना सही महेरी तो मिलेगी ही और वह महेरी ही जीवन पार लगाने के लिए काफी है। और कोई पूछने वाला भी नहीं यही कारण है कि आदिवासी विभाग में हर कोई कहीं ना कहीं से एंटर होने की जुगत में लगा रहता है।
विकास की कलम ने तैयार किया खाखा
विकास की कलम ने जब इस विभाग में प्रवेश किया तो जाना की यहां पदस्थ एक नहीं दो नहीं बल्कि आधे से अधिक नियुक्तियां संदेह के दायरे में है। और सभी चोर चोर मौसेरे भाई बन कर बखूबी अपना रोल निभा रहे हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग मध्य प्रदेश
के मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम से की विकास की कलम ने मुलाकात और साझा किए सारे तथ्य
छात्रावास बने मुख्य कमाई का जरिया
अनुसूचित जाति जनजाति और आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उत्तम भोजन और रहन सहन के लिए बने छात्रावासों में विभाग द्वारा जमकर धांधली की जा रही है। यहां नीचे से लेकर ऊपर तक सबका कमीशन सेट है। कई बार शिकायतें होने के बावजूत भी अंगद के पैर की तरह जमे इन भ्रस्ट लोगो पर कोई कार्यवाही नही होती है। और हो भी कैसे आखिर नजराना किस बात का पहुंचता है।
घपलेबाजों की जांच करने वालों की
खुद भी तो चल रही है जांच
आपको जानकर हैरानी होगी कि कई बार इन विभागों में पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें पहुंची हैं, और फिर कार्यवाही के नाम पर एक जांच कमेटी बना दी गई और फिर शुरू हुआ जांच किए जाने का ढोंग । सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि जो जांच कर रहा है उसकी भी जांच चल रही है और यह बात जिसकी जांच हो रही है उसे भी पता है ।
तो अब जांच करने वाले से जांच की रिपोर्ट में सटीकता आना एक मजाक से कम नहीं।
पुरानी सारी जांचे खुलवाएगी -
विकास की कलम
विभाग की अलमारियों में लाल कपड़े में दफन हो चुकी वे सारी जांचें और दस्तावेज अब एक बार फिर से सुर्खियों में आएंगी और इस बार रहनुमाओं के ऊपर विकास की कलम का चाबुक भी बरसेगा। दस्तावेजों से लेकर मंत्रियों के पत्रों तक सभी की जांच अब एक नए सिरे से शुरू की जाएगी और फिर जो सामने आएगा उसे जानकर आपको भी एहसास होगा की.....
क्या ऐसा भी हो सकता है???
केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को दिए थे 30466 करोड़, खर्च हुए सिर्फ 20 हजार करोड़
मध्य प्रदेश में आदिवासियों के विकास के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं तैयार की गई है. हालांकि आदिवासियों के विकास के लिए आदिवासी उपयोजना के तहत केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 30 हजार 466 करोड़ की राशि आवंटित की थी, लेकिन अब तक सिर्फ 20 हजार करोड़ की ही राशि विकास कार्यों पर खर्च की गई है. साफ है कि अब एक महीने के भीतर शेष राशि विभाग को खर्च करनी होगी, क्योंकि 31 मार्च को वित्तीय वर्ष के समाप्त होने से पहले यह राशि विकास कार्यों पर खर्च नहीं की गई तो लैप्स हो सकती है।
विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
(लेखक, विचारक,पत्रकार)
मलाई चाट रहे साहबों को बेपर्दा करेगी विकास की कलम
सरकार आदिवासी और अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए करोड़ों लुटा रही है। लेकिन जिनकी सुविधाओं के लिए यह पैसा आवंटन हो रहा है।
उन्हें ना तो इसकी जानकारी होती है और ना ही अपने अधिकारों का ज्ञान...
बस यही बात विभाग में बैठे लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। आवंटन का पैसा इतना की खत्म नहीं हो पा रहा।और सुविधाएं ऐसी की कागजों से नीचे उतर ही नही पा रही।
इस विभाग में नौकरी पाने कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं लोग
इस विषय में तो सभी जानते हैं कि आदिवासी विभाग में एक बार घुस गए तो मानो जिंदगी सँवर गई ।
चाहे उच्चाधिकारी हो क्या फिर निचले स्तर का.....
मलाई ना सही महेरी तो मिलेगी ही और वह महेरी ही जीवन पार लगाने के लिए काफी है। और कोई पूछने वाला भी नहीं यही कारण है कि आदिवासी विभाग में हर कोई कहीं ना कहीं से एंटर होने की जुगत में लगा रहता है।
विकास की कलम ने तैयार किया खाखा
विकास की कलम ने जब इस विभाग में प्रवेश किया तो जाना की यहां पदस्थ एक नहीं दो नहीं बल्कि आधे से अधिक नियुक्तियां संदेह के दायरे में है। और सभी चोर चोर मौसेरे भाई बन कर बखूबी अपना रोल निभा रहे हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग मध्य प्रदेश
के मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम से की विकास की कलम ने मुलाकात और साझा किए सारे तथ्य
छात्रावास बने मुख्य कमाई का जरिया
अनुसूचित जाति जनजाति और आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उत्तम भोजन और रहन सहन के लिए बने छात्रावासों में विभाग द्वारा जमकर धांधली की जा रही है। यहां नीचे से लेकर ऊपर तक सबका कमीशन सेट है। कई बार शिकायतें होने के बावजूत भी अंगद के पैर की तरह जमे इन भ्रस्ट लोगो पर कोई कार्यवाही नही होती है। और हो भी कैसे आखिर नजराना किस बात का पहुंचता है।
घपलेबाजों की जांच करने वालों की
खुद भी तो चल रही है जांच
आपको जानकर हैरानी होगी कि कई बार इन विभागों में पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें पहुंची हैं, और फिर कार्यवाही के नाम पर एक जांच कमेटी बना दी गई और फिर शुरू हुआ जांच किए जाने का ढोंग । सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि जो जांच कर रहा है उसकी भी जांच चल रही है और यह बात जिसकी जांच हो रही है उसे भी पता है ।
तो अब जांच करने वाले से जांच की रिपोर्ट में सटीकता आना एक मजाक से कम नहीं।
पुरानी सारी जांचे खुलवाएगी -
विकास की कलम
विभाग की अलमारियों में लाल कपड़े में दफन हो चुकी वे सारी जांचें और दस्तावेज अब एक बार फिर से सुर्खियों में आएंगी और इस बार रहनुमाओं के ऊपर विकास की कलम का चाबुक भी बरसेगा। दस्तावेजों से लेकर मंत्रियों के पत्रों तक सभी की जांच अब एक नए सिरे से शुरू की जाएगी और फिर जो सामने आएगा उसे जानकर आपको भी एहसास होगा की.....
क्या ऐसा भी हो सकता है???
केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को दिए थे 30466 करोड़, खर्च हुए सिर्फ 20 हजार करोड़
मध्य प्रदेश में आदिवासियों के विकास के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं तैयार की गई है. हालांकि आदिवासियों के विकास के लिए आदिवासी उपयोजना के तहत केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 30 हजार 466 करोड़ की राशि आवंटित की थी, लेकिन अब तक सिर्फ 20 हजार करोड़ की ही राशि विकास कार्यों पर खर्च की गई है. साफ है कि अब एक महीने के भीतर शेष राशि विभाग को खर्च करनी होगी, क्योंकि 31 मार्च को वित्तीय वर्ष के समाप्त होने से पहले यह राशि विकास कार्यों पर खर्च नहीं की गई तो लैप्स हो सकती है।
विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
(लेखक, विचारक,पत्रकार)