समझो निपटई गई (पार्ट 3)... 4 साल पहलई लिख गई थी-NHM महा घोटाला की स्क्रिप्ट..
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय...
जो खाबत बौरात है जो पाबत बौराए...
अर्थात जब सत्ता का रौब सर चढ़के बोलता है
जबलपुर के गलियारों से उठी भ्रस्ट अधिकारियों की कारगुजारी इन दिनों प्रदेश की राजधानी में भी काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। एक तरफ महकमे के कुछ लोग इस प्रकरण को काफी चटकारे लगा के बता रहे है, तो वहीं दूसरी तरफ एक तबका ऐसा भी है जो ऐड़ी से चोटी तक का जोर लगाए हुए है कि किसी भी तरह से ये मामला शांत हो जाये......
पर कहाँ जनाब...बात निकली है तो दूर तलक जाएगी............
यदि आप सोच रहे है कि यह घटना महज कुछ महीने ही पुरानी है तो आप गलत है..
विकास की कलम आपको बताएगी की कैसे आज से 4 साल पहले ही NHM के इस घोटाले की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी थी।
जी हाँ...
चौकिए मत...यह बात सौ प्रतिशत सच है...इस पूरे प्रकरण की सर्वे सर्वा रही डॉक्टर रंजना गुप्ता ने 4 साल पहले ही इस पूरे मामले की नींव रख दी थी।
पहले समझें क्या है पूरा मामला
हमारे नवीन पाठकों की सहूलियत के लिए हम पहले संक्षेप में इस पूरे मामले को एक बार और बता देते है फिर उसके बाद आपको बताएंगे कि कैसे 4 साल पहले ही पद का दुरुपयोग करते हुए इस पूरे प्रकरण को अंजाम देने की कहानी रची गयी थी।
आपको बता दे कि जबलपुर के जिला अस्पताल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एनएचएम और आरबीएसके के संयोजन में एक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। जहां पर गरीब परिवार के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाना था। साथ ही उन्हें उपचार देकर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाना था। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में जिलेभर से गरीब मरीज स्वास्थ्य लाभ लेने पहुंचे थे। स्वास्थ्य परीक्षण कराने आए गरीब बच्चों का दंत परीक्षण एवं हृदय रोग संबंधी परीक्षण किया जाना था। सरकारी नियमों के अनुसार उपरोक्त मरीजों के सभी परीक्षण सरकारी डॉक्टरों या फिर सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों के माध्यम से किया जाना था लेकिन कार्यक्रम की सर्वे सर्वा रही डॉ. रंजना गुप्ता ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए। मरीजों को बिना सरकारी डॉक्टरों का अभिमत लिए अपने ही सगे-संबंधियों के संस्थान हेल्दी स्माइल डेंटल क्लीनिक और मेडीहेल्थ सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक भिजवा दिया गया।और फिर लाखों रुपयों का बिल का आहरण भी बेहद आसानी से करवा लिया गया।
कहानी 4 साल पहले की....
आज से करीब चार साल पहले... यानी सन 2016 में डॉ, रंजना गुप्ता जबलपुर के स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त संचालक के पद को शुशोभित करती थी। इन दिनों ही डॉ रंजना गुप्ता ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने बेटे और बहू के संस्थान हेल्दी स्माइल डेंटल क्लीनिक का पंजीयन सरकारी नियमों को ताक पर रखते हुए करवा लिया था। इस दौरान अपने रसूक और पद का दुरुपयोग करते हुए उस समय के तात्कालिक सीएमएचओ(CMHO) से अनुशंसा भी करवा ली गयी थी। जबकि राज्य शासन के साफ आदेश थे कि जिले स्तर के किसी भी दंत चिकित्सा संस्थान को अनुमति नही दी जा सकती क्योंकि इसके लिए जिले में पूर्ण व्यवस्था है। यह सुविधा केवल ब्लॉक स्तर पर ही दी जा सकती है। ताकि ग्रामीण अंचलों के गरीब मरीजों को इसका लाभ पहुंचाया जा सके।
अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि कैसे एनएचएम के संचालक के परिजनों के संस्थान हेल्दी स्माइल डेंटल क्लीनिक को अनुमति देने के लिए शासन के नियमों को तार-तार किया गया।
क्या था.. राज्य शासन का आदेश..??
केवल ब्लॉक स्तर पर स्थित होने पर पर ही मिल सकती थी हेल्थी स्माइल डेंटल क्लीनिक को अनुमति
मध्यप्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय के आदेश क्रमांक एफ-09/02/2016-17/मेडी-3 दिनांक 27/05/2016 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष के बच्चों की बीमारी हेतु प्रोसीजर कोड अनुसार मॉडल कॉस्टिंग पैकेज में राशि भारत शासन द्वारा स्वीकृत की गई है।
जिला स्तर पर ई.एन. टी सर्जरी हेतु एवं विकासखंड (ब्लॉक) स्तर पर दंत चिकित्सा उपचार हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा प्रेषित अनुशंसा पर एनएचएम द्वारा स्वीकृत चिकित्सालय इस योजना अंतर्गत उपचार हेतू पात्र संस्थान है।
इस प्रकार स्पष्ट किया गया है कि आदेश में दंत रोग से संबंधित चिकित्सा उपचार इस योजना अंतर्गत केवल ब्लॉक स्तर पर ही उपलब्ध है ना कि जिला स्तर पर।
शासन के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए आखिर कैसे करवा ली अनुशंसा....
शासन के आदेश के विपरीत तत्कालीन मिशन संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा अपने आदेश क्रमांक- एनएचएम/ आरबीएसके/2018/7267 दिनांक 05/07/2018 के द्वारा एनएचएम की संचालक डॉ रंजना गुप्ता के बेटे एवं बहू के जबलपुर जिला स्तर पर स्थित हेल्दी स्माइल डेंटल क्लीनिक जबलपुर को दंत रोग संबंधित इलाज के भुगतान हेतु मान्यता दे दी गई। यह अनुमति तत्कालीन सीएमएचओ की अनुशंसा के आधार पर दी गई।
सबसे बड़ा सवाल.....अब भी खड़ा..
अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि जब ब्लॉक स्तर पर ही मान्यता मिल सकती थी । तो फिर आखिर जिला स्तर पर स्थापित हेल्दी स्माइल डेंटल क्लीनिक को मान्यता कैसे मिल गयी।
योजना ब्लॉक स्तर में निवास करने वाले बच्चों के लिए थी लेकिन लाभ शहरी क्षेत्र के बच्चों को दिया गया।
खैर...जब बात एनएचएम संचालक के बेटे बहु की हो तो मान्यता देने से इंकार करेगा कौन.....????
सिर्फ एक मामूली मोहरा थी रीता बहरानी...
उपरोक्त पूरे मामले में शुरुआती तौर पर सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण नाम जो सामने आया वह था जिला समन्वयक रीता बहरानी का.....लेकिन ये तो महज एक मोहरा थी। पूरा खेल तो सत्ता के चरम शीर्ष पर बैठी डॉ रंजना गुप्ता खेल रही थी।और रही बात रीता बहरानी की तो...वह सिर्फ अपने उच्चाधिकारी के आदेशों का पालन कर रही थी। अब ऐसे में जब पूरा खुलासा हुआ तो सिर्फ रीता पर गाज गिरना सोची समझी राजनीति का एक अंश मात्र होगा।
क्या मुख्य दोषी को बचाकर प्यादों पर गिरेगी गाज.....
जानकारों की माने तो इस पूरे प्रकरण में मुख्य दोषी के बजाय मामूली प्यादों पर गाज गिराकर मामले को रफ दफा करने का प्रयास किया जा सकता है। हो सकता है जांच में यह साबित किया जाय कि इस पूरे मामले में एनएचएम की जिला समन्वयक रीता बहरानी दोषी है।
पर विकास की कलम ने अपने इस अंक मे अपने पाठकों को यह बताया कि किस तरह से संचालक डॉ रंजना गुप्ता ने आज से चार साल पहले ही इस पूरे घोटाले की नींव रख दी थी।
क्या.. अब भी आपको लगता है कि जिला समन्वयक रीता बहरानी दोषी है।
रीता बहरानी का दोष सिर्फ यह है कि उन्होंने अपने आला अधिकारी का फरमान बजाया था। लेकिन उनका क्या जिन्होंने सब कुछ जान बूझ कर किया।
न्यायोचित कार्यवाही का है सबको इंतजार...
जांच के ऊपर जांच की बात हमने अपने पिछले अंक में की थी...लेकिन बात अब न्याय की आ चुकी है...लिहाज अब सबको इन्तेजार है कि क्या वाकई न्याय होगा...या फिर लीपापोती कर इसे भी एक नया रूप दे दिया जाएगा।
राजधानी के विशेष सूत्रों की माने तो चहेतों पर गाज गिराने से पहले कई चाटुकारों ने प्यादों पर गाज गिराने की पैरवी की है। लेकिन ...
विकास की कलम के इस खुलासे के बाद भी अगर महज मामूली कर्मचारियों पर कार्यवाही होती है तो.....जांच की जांच खुद जांच के दायरे पर आ जायेगी....
लेकिन सिर्फ इस विश्वास के साथ कि न्याय अभी भी जीवित है और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होगी.....
बस इसी विश्वास के साथ विकास की कलम अपने इस लेख को विराम देती है।और वह इन्तेजार करेगी कि मामूली प्यादे नही बल्कि असली गुनाहगारो पर कार्यवाही हो....
विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
(लेखक विचारक पत्रकार)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you want to give any suggestion related to this blog, then you must send your suggestion.