फर्जी को मर्जी से बांट दए.. करोड़ों -
अब 28 फरवरी खों कोर्ट में निकल्हें डकार..
जाने कैसे.?? 234 फर्जी वेबसाइटों पर लुटाया सरकारी खजाना- (विकास की कलम)
जाने क्या है पूरा मामला- कैसे फर्जी वेबसाइट पर हुई सरकारी विज्ञापनों की न्योछावर...
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकारी विज्ञापनों को लेकर जमकर बंदरबांट हुआ। विभाग ने नाम मात्र के लिए चल रही वेबसाइट पर मेहरबानी दिखाते हुए ₹14 करोड़ न्योछावर कर दिए और वह भी उस समय जब सरकारी खजाना खस्ताहाल स्थिति में था। लेकिन कहते हैं कि संबंध अच्छे हो तो जुगाड़ बन ही जाता है। कुछ इसी तरह खजाने में तंगी होने के बावजूद इन तथाकथित वेबसाइटों को विज्ञापन जारी होता रहा ।आपको बता दें कि 234 ऐसी वेबसाइट है जिन पर सरकार की मेहरबानी जमकर हुई है। हद तो तब हो गई जब सरकारी विज्ञापन कुछ ऐसी वेबसाइट को भी मिल गए जोकि लंबे समय से बंद थी इस पूरे गोरखधंधे में कई पत्रकारों ने अपने रिश्तेदारों के नाम से भी वेबसाइट बनवा कर सरकारी विज्ञापनों का माल डकारा है
जांच रिपोर्ट आने के बाद हुआ खुलासा
विभाग द्वारा बीते 4 सालों में करीब 234 वेबसाइट पर सरकारी विज्ञापन के लिए ₹14 करोड़ दिए हैं । इसका पूरा खुलासा एक इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट मैं सामने आया है।
आपको बता दें कि विगत वर्ष 2012-15 के बीच 10 हजार से लेकर 21.7 लाख रुपए तक के विज्ञापनों की सूची तैयार की गई थी। इस मुद्दे को कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने विधानसभा में उठाया। जिसमें उल्लेख है की कम से कम 26 वेबसाइट को 10 लाख से ज्यादा का विज्ञापन मिला है।
साथ ही इनमें से कम से कम 18 वेबसाइट ऐसी हैं, जिन्हें कई समाचार पत्रों से जुड़े पत्रकारों के रिश्तेदार संचालित कर रहे हैं। इन रिश्तेदारों को 5-10 लाख रुपए के विज्ञापन मिले हैं।
इतना ही नहीं इनमें भी कम से कम 33 वेबसाइट ऐसी हैं जिन्हें सरकार की ओर से अलॉट किए गए स्थानों पर संचालित किया जा रहा है।
सिर्फ कॉपी पेस्ट करने से मिल जाते हैं लाखों रुपए
अगर आपमें कॉपी पेस्ट करने का हुनर है और आप थोड़ा बहुत इंटरनेट में काम करना जानते हैं तो निश्चिंत हो जाइए और एक न्यूज़ वेबसाइट बना लीजिए मध्य प्रदेश जनसंपर्क की नजर में आप आला दर्जे के पत्रकार हैं बस संबंध आपके अच्छे होने चाहिए फिर क्या.... इसकी कॉपी उसका पेस्ट और मिल जाएगा लाखों का विज्ञापन यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि फर्जी वेबसाइट पर सरकारी विज्ञापनों की न्योछावर का मामला कुछ यही बात बयां कर रहा है। मामले को गंभीरता से देखा जाए तो अधिकतर वेबसाइट ऐसी हैं जिनके कंटेंट सिर्फ कॉपी पेस्ट पर निर्भर है।जो कि अलग-अलग नाम से संचालित की जा रही हैं, इनमें अधिकतर एक जैसा कंटेट पाया जा रहा है।
ये जितनी भी वेबसाइट हैं इनमें से ज्यादातर ऐसी हैं जिनमें न कॉन्टेक्ट डिटेल है, न ही यह जानकारी दी गई है कि उन्हें संचालित कौन कर रहा है।
हाई कोर्ट पहुंचा पूरा मामला
ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन (आइसना) के प्रांताध्यक्ष विनोद मिश्रा ने याचिका दायर कर कहा कि प्रदेश में कई वर्षों से फर्जी न्यूज वेबसाइट्स को विज्ञापन बांटने का सिलसिला जारी है। उन्होंने 7 फरवरी 2017 को जनसंपर्क विभाग को शिकायत की थी कि कई वेबसाइट संचालक फर्जी तरीके से गूगल एनालिसिस रिपोर्ट व फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी विज्ञापन प्राप्त कर रहे थे। लेकिन दो साल बाद भी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर हाईकोर्ट ने 27 अगस्त 2019 को उनकी याचिका निराकृत करते हुए जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों को अभ्यावेदन पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मानस वर्मा कर रहे पैरवी
अधिवक्ता मानसमणि वर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस आदेश की प्रति के साथ उक्त दोनो अधिकारियों को अभ्यावेदन दिया गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस पर अवमानना याचिका पेश की गई। उन्होंने तर्क दिया कि इन फर्जी वेबसाइट्स के जरिए विज्ञापन से सरकार को तगड़ी चपत लगाई जा रही है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदक बनाए गए अधिकारियों को नोटिस जारी किए।
साइबर सेल ने भी की पूरी जांच
सायबर सेल पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि इस मामले में धारा 420, 467, 468 और 120 बी के तहत अपराध किए गए है, लेकिन आईटी एक्ट का उल्लघंन नहीं माना गया। अधिवक्ता मानस मणि वर्मा ने तर्क दिया कि फर्जी बेबसाइट्स संचालकों ने सरकार को करोड़ों की चपत लगाई है। इस मामले में प्रकरण पंजीबद्ध किया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त को निर्देश दिया कि फर्जी वेबसाइट्स की जांच कर विधि अनुसार कार्रवाई की जाए।
हाईकोर्ट ने मांगा जबाब- क्यों नहीं हुई फर्जी न्यूज वेबसाइट्स के खिलाफ कार्रवाई।
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने फर्जी तरीके से संचालित की जा रही न्यूज वेबसाइट्स संचालन के मामले पर कार्रवाई न किए जाने का आरोप गंभीरता से लिया। जस्टिस मोहम्मद फहीम अनवर की सिंगल बेंच ने जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला व कमिश्नर पी नरहरि से पूछा कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर कोर्ट के निर्देश के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की गई? दोनों अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया।
28 फरवरी 2020 को होगी अगली सुनवाई
विकास की कलम
चीफ एडिटर विकास सोनी
(लेखक ,विचारक ,पत्रकार)
अब 28 फरवरी खों कोर्ट में निकल्हें डकार..
जाने कैसे.?? 234 फर्जी वेबसाइटों पर लुटाया सरकारी खजाना- (विकास की कलम)
जाने क्या है पूरा मामला- कैसे फर्जी वेबसाइट पर हुई सरकारी विज्ञापनों की न्योछावर...
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकारी विज्ञापनों को लेकर जमकर बंदरबांट हुआ। विभाग ने नाम मात्र के लिए चल रही वेबसाइट पर मेहरबानी दिखाते हुए ₹14 करोड़ न्योछावर कर दिए और वह भी उस समय जब सरकारी खजाना खस्ताहाल स्थिति में था। लेकिन कहते हैं कि संबंध अच्छे हो तो जुगाड़ बन ही जाता है। कुछ इसी तरह खजाने में तंगी होने के बावजूद इन तथाकथित वेबसाइटों को विज्ञापन जारी होता रहा ।आपको बता दें कि 234 ऐसी वेबसाइट है जिन पर सरकार की मेहरबानी जमकर हुई है। हद तो तब हो गई जब सरकारी विज्ञापन कुछ ऐसी वेबसाइट को भी मिल गए जोकि लंबे समय से बंद थी इस पूरे गोरखधंधे में कई पत्रकारों ने अपने रिश्तेदारों के नाम से भी वेबसाइट बनवा कर सरकारी विज्ञापनों का माल डकारा है
जांच रिपोर्ट आने के बाद हुआ खुलासा
विभाग द्वारा बीते 4 सालों में करीब 234 वेबसाइट पर सरकारी विज्ञापन के लिए ₹14 करोड़ दिए हैं । इसका पूरा खुलासा एक इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट मैं सामने आया है।
आपको बता दें कि विगत वर्ष 2012-15 के बीच 10 हजार से लेकर 21.7 लाख रुपए तक के विज्ञापनों की सूची तैयार की गई थी। इस मुद्दे को कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने विधानसभा में उठाया। जिसमें उल्लेख है की कम से कम 26 वेबसाइट को 10 लाख से ज्यादा का विज्ञापन मिला है।
साथ ही इनमें से कम से कम 18 वेबसाइट ऐसी हैं, जिन्हें कई समाचार पत्रों से जुड़े पत्रकारों के रिश्तेदार संचालित कर रहे हैं। इन रिश्तेदारों को 5-10 लाख रुपए के विज्ञापन मिले हैं।
इतना ही नहीं इनमें भी कम से कम 33 वेबसाइट ऐसी हैं जिन्हें सरकार की ओर से अलॉट किए गए स्थानों पर संचालित किया जा रहा है।
सिर्फ कॉपी पेस्ट करने से मिल जाते हैं लाखों रुपए
अगर आपमें कॉपी पेस्ट करने का हुनर है और आप थोड़ा बहुत इंटरनेट में काम करना जानते हैं तो निश्चिंत हो जाइए और एक न्यूज़ वेबसाइट बना लीजिए मध्य प्रदेश जनसंपर्क की नजर में आप आला दर्जे के पत्रकार हैं बस संबंध आपके अच्छे होने चाहिए फिर क्या.... इसकी कॉपी उसका पेस्ट और मिल जाएगा लाखों का विज्ञापन यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि फर्जी वेबसाइट पर सरकारी विज्ञापनों की न्योछावर का मामला कुछ यही बात बयां कर रहा है। मामले को गंभीरता से देखा जाए तो अधिकतर वेबसाइट ऐसी हैं जिनके कंटेंट सिर्फ कॉपी पेस्ट पर निर्भर है।जो कि अलग-अलग नाम से संचालित की जा रही हैं, इनमें अधिकतर एक जैसा कंटेट पाया जा रहा है।
ये जितनी भी वेबसाइट हैं इनमें से ज्यादातर ऐसी हैं जिनमें न कॉन्टेक्ट डिटेल है, न ही यह जानकारी दी गई है कि उन्हें संचालित कौन कर रहा है।
हाई कोर्ट पहुंचा पूरा मामला
ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन (आइसना) के प्रांताध्यक्ष विनोद मिश्रा ने याचिका दायर कर कहा कि प्रदेश में कई वर्षों से फर्जी न्यूज वेबसाइट्स को विज्ञापन बांटने का सिलसिला जारी है। उन्होंने 7 फरवरी 2017 को जनसंपर्क विभाग को शिकायत की थी कि कई वेबसाइट संचालक फर्जी तरीके से गूगल एनालिसिस रिपोर्ट व फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी विज्ञापन प्राप्त कर रहे थे। लेकिन दो साल बाद भी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर हाईकोर्ट ने 27 अगस्त 2019 को उनकी याचिका निराकृत करते हुए जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों को अभ्यावेदन पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मानस वर्मा कर रहे पैरवी
अधिवक्ता मानसमणि वर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस आदेश की प्रति के साथ उक्त दोनो अधिकारियों को अभ्यावेदन दिया गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस पर अवमानना याचिका पेश की गई। उन्होंने तर्क दिया कि इन फर्जी वेबसाइट्स के जरिए विज्ञापन से सरकार को तगड़ी चपत लगाई जा रही है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदक बनाए गए अधिकारियों को नोटिस जारी किए।
साइबर सेल ने भी की पूरी जांच
सायबर सेल पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि इस मामले में धारा 420, 467, 468 और 120 बी के तहत अपराध किए गए है, लेकिन आईटी एक्ट का उल्लघंन नहीं माना गया। अधिवक्ता मानस मणि वर्मा ने तर्क दिया कि फर्जी बेबसाइट्स संचालकों ने सरकार को करोड़ों की चपत लगाई है। इस मामले में प्रकरण पंजीबद्ध किया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त को निर्देश दिया कि फर्जी वेबसाइट्स की जांच कर विधि अनुसार कार्रवाई की जाए।
हाईकोर्ट ने मांगा जबाब- क्यों नहीं हुई फर्जी न्यूज वेबसाइट्स के खिलाफ कार्रवाई।
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने फर्जी तरीके से संचालित की जा रही न्यूज वेबसाइट्स संचालन के मामले पर कार्रवाई न किए जाने का आरोप गंभीरता से लिया। जस्टिस मोहम्मद फहीम अनवर की सिंगल बेंच ने जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला व कमिश्नर पी नरहरि से पूछा कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर कोर्ट के निर्देश के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की गई? दोनों अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया।
28 फरवरी 2020 को होगी अगली सुनवाई
फर्जी न्यूज वेबसाइट्स को करोड़ों रुपए के विज्ञापन देने से संबंधित अवमानना मामले पर हाईकोर्ट ने जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला और आयुक्त पी नरहरि को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस मोहम्मद फहीम अनवर की एकलपीठ ने मामले पर जवाब पेश करने का समय देकर अगली सुनवाई 28 फरवरी 2020 को निर्धारित की है।
विकास की कलम
चीफ एडिटर विकास सोनी
(लेखक ,विचारक ,पत्रकार)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you want to give any suggestion related to this blog, then you must send your suggestion.